महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टीन की जीवनी - Albert Einstein Biography in Hindi
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मानव इतिहास के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति जोकि बीसवीं सदी के प्रारंभिक 20 वर्षों तक विश्व के विज्ञान जगत पर छाए रहे। उन्होंने अपने खोजों के आधार पर। अंतरिक्ष, समय और गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत दिए। वह इतने महान और लोकप्रिय इंसान थे कि जब भी वह बाहर घूमने निकलते तो लोग अक्सर उन्हें सड़क पर रोककर उनके दिए गए सिद्धांत की व्याख्या पूछते। जिसके चलते उन्होंने इस निरंतर पूछताछ से बचने का एक बहुत ही रोचक तरीका निकाला जिसमें वह उन सब लोगों से कहते कि कृपया माफ कीजिए। मुझे लोग अक्सर प्रोफेसर Einstein समझ लेते हैं पर वह मैं नहीं हूं। वह हमेशा कहते थे कि मेरे अंदर कोई खास गुण नहीं, मैं तो केवल एक ऐसा व्यक्ति हूं जिसमें जिज्ञासा कूट-कूट कर भरी हुई है। लेकिन दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी की अल्बर्ट आइंस्टाइन हमेशा से इतने बुद्धिमान नहीं थे। बल्कि उनके बचपन में तो पढ़ाई में बहुत कमजोर होने की वजह से उन्हें मंदबुद्धि भी कहा जाने लगा था। है ना यह हैरान कर देने वाली बात। लेकिन यह तो कुछ भी नहीं है क्योंकि इसके अलावा भी Einstein की बहुत सी ऐसी बातें हैं जिसे जानकर आप आश्चर्य से भर जाओगे। तो अगर आप सच में जानना चाहते हैं कि कैसे अल्बर्ट Einstein एक मंदबुद्धि बालक से सदी के सबसे जीनियस वैज्ञानिक बने, तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़िए।
अल्बर्ट आइंस्टीन एक नजर में (Albert Einstein Biography in Hindi)
अल्बर्ट आइंस्टीन |
मृत्यु - 18 अप्रैल 1955 (उम्र 76)प्रिंस्टन, न्यू जर्सी, संयुक्त राज्य
पिता - हरमन आइंस्टीन (Hermann Einstein)
माँ - पौलीन आइंस्टीन
आवास - जर्मनी, इटली, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया (वर्तमान चेक गणराज्य), बेल्जियम, संयुक्त राज्य
धर्म - यहूदी
क्षेत्र - भौतिकी,
शिक्षा - संघीय पॉलिटेक्निक स्कूल (1896-1900; बी.ए., 1900), ज्यूरिख विश्वविद्यालय (पीएच.डी., 1905)
पत्नी - मिलेवा मारीक (m. 1903 - div. 1919) और एल्सा लोवेनथाल (m. 1919; died 1936)
बच्चे - "लाइसेर्ल" आइंस्टीन, हंस अल्बर्ट आइंस्टीन,
और एडुआर्ड "टेटे" आइंस्टीन,
डॉक्टरी सलाहकार - अल्फ़्रेड क्लेनरअन्य
अकादमी सलाहकार - हेनरिक फ्रेडरिक वेबर
शिष्य - अर्न्स्ट जी. स्ट्रॉस, नाथन रोसेन, लियो स्जिलार्ड, रज़ीउद्दीन सिद्दीकी
प्रसिद्धि और खोज - सापेक्षता और विशिष्ट आपेक्षिकता, प्रकाश वैद्युत प्रभाव, द्रव्यमान-ऊर्जा-समतुल्यता, ब्राउनियन गति,
सम्मान और पुरस्कार - भौतिकी का नोबेल पुरस्कार (1921), मेट्यूक्सी पदक (1921), कोप्ले पदक (1925), मैक्स प्लैंक पदक (1929), अपने सदी के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति (1999),
अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय (Biography of albert einstein in hindi)
कौन थे अल्बर्ट आइंस्टीन ? (Albert Einstein kon the)
अल्बर्ट आइंस्टीन ( Albert Einstein) एक विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद् (Theoretical physicist) थे जो सापेक्षता के सिद्धांत (Theory of relativity) और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण (Mass-Energy Equation) "E = mc2" के लिए जाने जाते हैं। उन्हें सैद्धांतिक भौतिकी, मुख्य रूप से प्रकाश-विद्युत ऊत्सर्जन (law of Photoelectric emission) की खोज के लिए 1921 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
अल्बर्ट आइंस्टीन का बचपन और शिक्षा (Albert Einstein's childhood and in hindi)
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 March 1879 को जर्मनी में वुटेमबर्ग के एक यहूदी परिवार में हुआ। उनके पिता हरमन आइंस्टीन (Hermann Einstein) मूल रूप से एक सेल्समैन और इंजीनियर थे। उनकी माँ पौलीन आइंस्टीन थी, जो घर को चलाती थीं। उनकी एक बहन, मारिया (जो माजा नाम से जानी जाती है), अल्बर्ट के दो साल बाद पैदा हुई। आइंस्टीन को शुरू-शुरू में बोलने में काफी कठिनाई होती थी, और वह पढाई में ज्यादा अच्छे नही थे। उनकी मातृभाषा (Mother language) जर्मन थी और बाद में उन्होंने इतालवी और अंग्रेजी भी सीखी।
1880 में उनका परिवार म्यूनिख शहर चला गया, जहाँ उनके पिता और चाचा दोनों ने एक साथ मिलकर "इलेक्ट्राटेक्निक फ्रैबिक जे आइंस्टीन एंड सी" (Elektrotechnische Fabrik J. Einstein & Cie) नाम की कम्पनी खोली, जोकि बिजली के उपकरण बनाती थी, और इस कंपनी ने म्यूनिख शहर के "Oktoberfest" मेले में पहली बार लाइट लगाने का काम भी किया था। उनका परिवार यहूदी धार्मिक परम्पराओं (Religious Traditions) को नहीं मानता था, और इसी वजह से आइंस्टीन कैथोलिक विद्यालय में पढने जा सके। अपनी माँ के कहने पर उन्होंने सारन्गी violin बजाना सीखा। उन्हें यह पसन्द नहीं था और बाद मे उन्होंने इसे छोड़ भी दिया।
नोट : - सारन्गी (violin) दुनिया में सबसे प्रसिद्ध और सबसे व्यापक रूप से वितरित संगीत वाद्ययंत्र है।
1894 में, उनके पिता की कंपनी को म्यूनिख शहर के Oktoberfest मेले में प्रकाश व्यवस्था के लिए आपूर्ति करने का अनुबंध नहीं मिल सका। जिसके कारण काफी नुकसान हुआ और उन्हें अपनी कंपनी इलेक्ट्राटेक्निक फ्रैबिक जे आइंस्टीन एंड सी" (Elektrotechnische Fabrik J. Einstein & Cie) बेचनी पड़ गई। इसके बाद व्यापार की तलाश में,आइंस्टीन परिवार इटली चले गए, और वहां वह सबसे पहले “मिलान” शहर और फिर कुछ महीने के बाद “पाविया” शहर में बस गये। भले ही आइंस्टाइन परिवार पाविया शहर में बस गए लेकिन आइंस्टाइन अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए म्यूनिख शहर में ही रुके रहे। दिसंबर 1894 के अंत में, उन्होंने पाविया में अपने परिवार से मिलने का फैसला किया और इसके लिए उन्होंने इटली की यात्रा की। आइंस्टाइन जब इटली में रह रहे थे तो उन्होंने "एक चुंबकीय क्षेत्र में ईथर की अवस्था की जांच (Examination of ether state in a magnetic field)" शीर्षक के नाम से एक छोटा सा निबंध लिखा था।
आइंस्टीन हमेशा अपने साथियों से आगे के स्तर तक पहुंचने के लिए कम उम्र से ही गणित और भौतिकी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। बारह वर्षीय आइंस्टीन ने बीजगणित और यूक्लिडियन ज्यामिती स्वयं ही सीख लिया । एक पारिवारिक शिक्षक "मैक्स तल्मूड" का कहना है कि "जब उन्होंने 12 वर्षीय आइंस्टीन को एक ज्यामिति की पाठ्यपुस्तक दी थी, तो थोड़े समय के बाद ही आइंस्टीन ने पूरी किताब के पढ़ लिया । उनकी गणितीय प्रतिभा इतनी ऊंची थी कि मैं उनका अनुसरण नहीं कर सकता था। " ज्यामिति और बीजगणित के लिए उनके जुनून और उत्साह ने बारह साल के बच्चे को आश्वस्त किया कि प्रकृति को "गणितीय संरचना" के रूप में आसानी से समझा जा सकता है। आइंस्टीन ने 12 साल की उम्र में खुद से कैलकुलस पढ़ाना शुरू कर दिया था और 14 साल की उम्र में उन्होंने कहा कि उन्हें "इंटीग्रल और डिफरेंट कैलकुलस में महारत हासिल है"।
13 साल की उम्र में, आइंस्टीन को "Immanuel Kant" की किताब "Critique of Pure Reason" से परिचय हुआ, और उसी समय से Kant उनके पसंदीदा दार्शनिक बन गए। उनके शिक्षक ने कहा: "उस समय वह अभी भी एक बच्चा था, केवल तेरह साल का, फिर भी Kant की रचनाएँ, साधारण मनुष्यों के लिए अक्षम्य, और उन्हें स्पष्ट प्रतीत होती थीं"।
1895 में, 16 साल की उम्र में, आइंस्टीन ने ज़्यूरिख (Zürich) में स्विस फ़ेडरल पॉलिटेक्निक (बाद में ईडेनगोसिस्चे टेनेसीशे होचस्च्यूल, ईटीएच) मे admission के लिए प्रवेश परीक्षा (entrance exam) दी। वह परीक्षा के सामान्य भाग में एडमिशन के लिए जरूरी नंबर (marks) लाने में विफल रहा, लेकिन भौतिकी और गणित में बहुत ही अच्छा ग्रेड प्राप्त किया। इसके बाद, पॉलिटेक्निक के प्रिंसिपल की सलाह पर, उन्होंने 1895 और 1896 में स्विट्जरलैंड के आरौ में आर्गोवियन कैंटोननल स्कूल (व्यायामशाला) में अपनी माध्यमिक स्कूली शिक्षा पूरी करने के लिए चले गए। जनवरी 1896 में, अपने पिता की स्वीकृति के साथ, आइंस्टीन ने सैन्य सेवा से बचने के लिए जर्मन किंगडम ऑफ वुर्टेमबर्ग में अपनी नागरिकता त्याग दी। सितंबर 1896 में, उन्होंने ज्यादातर अच्छे ग्रेड के साथ स्विस मटुरा (मटुरा माध्यमिक स्कूल के बाहर निकलने की परीक्षा या विभिन्न देशों में "परिपक्वता डिप्लोमा" के लिए एक लैटिन नाम है) पास किया। 17 साल की उम्र में, उन्होंने ज़्यूरिख पॉलिटेक्निक में चार वर्षीय गणित और भौतिकी शिक्षण डिप्लोमा कार्यक्रम में दाखिला लिया।
1900 में, आइंस्टीन ने मैथ्स (Maths)और भौतिकी (Physics) में परीक्षा उत्तीर्ण की और उन्हें संघीय पॉलिटेक्निक शिक्षण डिप्लोमा (Federal polytechnic teaching diploma) से सम्मानित किया गया।
30 अप्रैल 1905 को, आइंस्टीन ने प्रोफ़ेसर सलाहकार के रूप में सेवारत, प्रायोगिक भौतिकी के प्रोफेसर अल्फ्रेड क्लिनर के साथ अपनी थीसिस पूरी की। परिणामस्वरूप, आइंस्टीन को ज़्यूरिख विश्वविद्यालय द्वारा उनके शोध प्रबंध A New Determination of Molecular Dimensions (आणविक आयामों का एक नया निर्धारण ) के लिए पीएचडी (PHD) से सम्मानित किया गया था।
अल्बर्ट आइंस्टीन का विवाह और बच्चे - Albert Einstein Biography in Hindi
जब आइंस्टाइन पॉलिटेक्निक में पढ़ाई कर रहे थे तब आइंस्टीन की भावी पत्नी (Einstein future wife) , एक 20 वर्षीय सर्बियाई महिला माइलवा मारीक (Mileva Maric) ने भी उस वर्ष पॉलिटेक्निक में दाखिला लिया। वह डिप्लोमा पाठ्यक्रम के गणित और भौतिकी खंड में पढ़ाई करने वाले छह छात्रों में से एकमात्र महिला थीं। अगले कुछ वर्षों में, आइंस्टीन और मारीक की दोस्ती रोमांस में विकसित होने लगी, और उन्होंने भौतिकी पर एक साथ किताबें पढ़ीं, जिसमें आइंस्टीन एक बढ़ती रुचि ले रहे थे।
अब मैरिक और आइंस्टीन दोनों एक साथ रहने लगे। साथ रहने के कुछ समय बाद ही मैरिक प्रेगनेंट हो गई और एक बच्ची जिसका नाम लाइजरल था, सन 1902 में पैदा हुई थी। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि जब आइंस्टीन की मौत के बाद उनके और मैरिक के बीच आदान-प्रदान होने वाले पत्रों को देखा गया तो उनमें उनकी बच्ची लाइजरल का कहीं भी ज़िक्र नहीं था। ऐसा माना जाता है कि बच्ची की मृत्यु सन 1903 में बुखार के कारण हो गई थी।
अब आइंस्टीन अपने और मैरिक के रिश्ते को शादी के बंधन में बांधना चाहते थे। अतः आइंस्टीन और मारीक ने जनवरी 1903 में शादी कर ली। शादी के बाद मई 1904 में, उनके पहले बेटे हंस अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म बर्न, स्विट्जरलैंड में हुआ। उनके दूसरे बेटे एडुअर्ड का जन्म जुलाई 1910 में ज़्यूरिख़ में हुआ। दोनों एक दूसरे के साथ रहने लगे। इस दौरान आइंस्टीन का कैरियर खूब फला फूला, और यही वह समय था जब आइंस्टीन ने अपनी विश्व प्रसिद्ध थ्योरी “थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी” की खोज की।
भले ही आइंस्टाइन का कैरियर खूब अच्छा गुजरा। लेकिन आइंस्टाइन के और भी दूसरे औरतों के साथ संबंध के कारण, आइंस्टाइन और उनकी पत्नी के रिश्ते में गर्माहट हमेशा से रही। और यह बात इतनी आगे बढ़ गई की आइंस्टीन ने अपने पत्नी से तलाक लेने की भी सोच ली। लेकिन मैरिक ने तलाक लेने से इनकार कर दिया तब उन्होंने मैरिक के लिए कुछ शर्तों की सूची बना दी।और ऐसा माना जाता है कि उन्होंने सूची में निम्नलिखित बातें लिखी।
1. तुम यह ध्यान रखोगी, कि मेरे कपड़े साफ हों और सही तरह से रखे हों।
2 मेरा बेडरूम और स्टडी रूम साफ रखा जाए और ख़ास तौर पर मेरी डेस्क कोई और इस्तेमाल ना करे।
3 मुझे तीन वक्त का खाना मेरे कमरे में मिले।
4 मैरिक उनसे कोई भी व्यक्तिगत रिश्ता ना रखें और जब वह कहें तब उनसे बात करना छोड़ दें।
यह नियम और कानून थोड़े ही समय तक चले। जब रिश्ता खतरे में आने लगा तब 1912 ईस्वी में आइंस्टाइन, मैरिक से अलग हो गए। इसके 7 सालों के बाद सन 1919 ईस्वी में दोनों का तलाक भी हो गया।
ऐसी माना जाता है कि आइंस्टीन अपनी कजिन "एल्सा " से प्यार करते थे। इसी मुख्य कारण से उनका ध्यान अपनी पत्नी मैरिक से हटता जा रहा था। जैसे ही आइंस्टीन और मैरिक का तलाक हुआ आइंस्टीन ने अपनी दूसरी शादी एल्सा के साथ 2 जून, 1919 को कर ली। एल्सा आइंस्टीन की दूसरी पत्नी थी और इससे पहले उसका विवाह मैक्स लोवेंथाल से हुआ था। लेकिन एल्सा, अल्बर्ट से विवाह करने के लिए अपने पहले पति मैक्स लोवेंथाल को छोड़ दिया। अभी आइंस्टीन एल्सा के साथ अपने जीवन के कुछ यादगार पल थोड़े ही समय के लिए बिताए थे कि अचानक एल्सा बीमार पड़ गई। माना जाता है कि एल्सा से विवाह के बाद भी वह कई प्रेम प्रसंग में रहे। सन 1936 में एल्सा की मौत के बाद अल्बर्ट आइंस्टीन ने दूसरी शादी नहीं की और अकेला ही रहना पसंद किया।
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का महान वैज्ञानिक जीवन - Albert Einstien Biography in Hindi
📝 1905 – Annus Mirabilis papers
Annus Mirabilis Paper से संबंधित 4 लेख है । फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव (जो क्वांटम सिद्धांत को जन्म देता है), ब्राउनियन मोशन, सापेक्षता का विशेष सिद्धांत, और E = mc2 जो आइंस्टीन ने 1905 में ऐनालीन डेर फिजिक वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित किया था। ये चारो लेख आधुनिक भौतिकी की नींव में महत्वपूर्ण योगदान दिया और अंतरिक्ष, समय और मामले पर विचारों को बदल दिया।
📝 Einstein's Theory of Relativity
1.Special Theory of Relativity (सापेक्षता का विशेष सिद्धांत )
2.General Theory of Relativity (सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत )
1. 👉 Special Theory of Relativity
Albert Einstein की Theory of relativity में से ही एक है, Special Theory of Relativity (सापेक्षता का सिद्धांत)। यह theory हमें ब्रह्माण्ड के रहस्यों को तथा प्रकाश की गति को समझने मदद करती है। इस थ्योरी से हम यह समझ सकतें हैं, की किस तरह ब्रह्माण्ड के नियम अलग अलग वस्तु पर काम करतें हैं।Special Theory of Relativity अर्थात सापेछता का सिद्धांत सन 1905 में सदी के महान वैज्ञानिक Albert Einstein ने पब्लिश किया था ! स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी (सापेक्षता का सिद्धांत) क्लासिकल फिजिक्स के दो अवधारणा (Postulates of Special Theory of Relativity) पर काम करता है !
2. 👉 General Relativity
सामान्य सापेक्षता (जीआर) गुरुत्वाकर्षण का एक सिद्धांत है जिसे 1907 और 1915 के बीच आइंस्टीन द्वारा विकसित किया गया था। अल्बर्ट आइंस्टीन दस सालो तक यह सोचते रहे की accelaration तथा ग्रेविटी आपस में किस तरह जुड़े हुए है जिससे की पूरी तरह हम ग्रेविटी को समझ सके। इसके लिए अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक thought एक्सपेरिमेंट किया और निष्कर्ष निकाला की aacelaration तथा ग्रेविटी दोनों एक ही चीज़ है। आइंस्टीन ने बताया की curve स्पेस टाइम की वजह से ग्रेविटी निर्माण होता है । जब कोई वस्तु की गति समय के साथ बढ़ती है अर्थात accelerate होती है तब वह समय के मुकाबले स्पेस में ज्यादा travel करता है।
📝 E = mc square
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के प्रसिद्ध समीकरण E = mc^2 , जहाँ
E = ऊर्जा (energy) ,
m = द्रव्यमान (mass) और
c = प्रकाश की गति (speed of light)।
इस समीकरण का मतलब आसान शब्दों में कुछ इस तरह हैं कि ऊर्जा , द्रव्यमान में प्रकाश की गति के वर्ग के गुणनफल के बराबर होती हैं (Energy is equal to the product of the square of the speed of light and mass) । इस समीकरण के अनुसार सही या उपयुक्त परिस्थतियों में ऊर्जा द्रव्यमान बन सकती हैं एवं द्रव्यमान ऊर्जा में परिवर्तित हो सकता हैं।अर्थात ऊर्जा (energy) एवं द्रव्यमान (mass) एक ही चीज के अलग अलग रूप हैं।
📝 आइंस्टीन का ब्राउनियन गति का सिद्धांत (Einstein's theory of Brownian motion)
यह अल्बर्ट आइंस्टीन की सबसे बड़ी और सबसे अच्छी ख़ोज कहा जा सकता है, जहाँ उन्होंने परमाणु के निलंबन में जिगज़ैग (Zigzag) मूवमेंट (movement) का अवलोकन किया
इस सिद्धांत के अनुसार, किसी पदार्थ का तापमान औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है जिसके साथ पदार्थ के अणु हिलते या कंपते हैं।
📝 Quantum Theory of light
मार्च 1905 में, आइंस्टीन ने प्रकाश का क्वांटम सिद्धांत दिया, इसके अनुसार प्रकाश छोटे पैकेट, या कणों के रूप में मौजूद है, जिसे उन्होंने फोटोन कहा। आइंस्टीन ने बीसवीं शताब्दी के भौतिकी में सबसे चौंकाने वाले विचारों में से एक का प्रस्ताव रखा कि : हम एक क्वांटम ब्रह्मांड में रहते हैं, जो ऊर्जा और पदार्थ के छोटे, असतत chunks (हिस्सा) से बना है।
👉 आइंस्टीन रेफ्रिजरेटर
1926 में, आइंस्टीन और उनके पूर्व छात्र Leó Szilárd ने आइंस्टीन रेफ्रिजरेटर का सह-आविष्कार किया और 1930 में, पेटेंट कराया। यह सोखने वाला फ्रिज तब बिना किसी पुर्जे के चलने के लिए क्रांतिकारी था और इनपुट के रूप में केवल heat का उपयोग करता था। 11 नवंबर 1930 को, यू.एस. पेटेंट 1,781,541 को रेफ्रिजरेटर के लिए आइंस्टीन और लेओ स्ज़िल्ड को सम्मानित किया गया था।
अल्बर्ट आइंस्टीन का विभिन्न देशों की नागरिकता (Albert Einstein's citizenship of various countries in hindi)
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने जीवन काल में कई देशों की नागरिकता ली। इस दौरान वह राज्य विहीन भी रहे। अल्बर्ट आइंस्टीन ने जिन देशों की नागरिकता ली उनकी लिस्ट नीचे दी गई है।
(1879–1896) - वुर्ट्टनबर्ग/जर्मनी
(1896–1901) - राज्यविहीन
(1901–1955) - स्विट्जरलैंड
(1911–1912) - ऑस्ट्रिया
(1914–1933) - जर्मनी
(1940–1955) - संयुक्त राज्य अमेरिका
अल्बर्ट आइंस्टीन के सम्मान और उपलब्धियां (Albert Einstein's honors and achievements in hindi)
आइंस्टीन को कई पुरस्कार और सम्मान मिले। 1922 में, उन्हें "सैद्धांतिक भौतिकी और विशेष रूप से फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव के नियम (Law of Photoelectric effect) की खोज के लिए" भौतिकी में 1921 का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
नोबेल पुरस्कार के अलावा आइंस्टीन ने और भी बहुत सारे पुरस्कार प्राप्त कीए । इन पुरस्कारों की लिस्ट नीचे दी गई है।
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा प्राप्त पुरस्कारों की सूची (List of awards received by Great scientist Albert Einstein) Albert Einstein in hindi
1. बर्नार्ड मेडल (Barnard Medal) - 1920
2. भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize in Physics) - 1921
3. माट्टूची मेडल (Matteucci Medal) - 1921
4. ForMemRS - 1921
5. कोपले मेडल (Copley Medal ) - 1925
6. रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी का स्वर्ण पदक ( Gold Medal of the Royal Astronomical Society) -1926
7. मैक्स प्लैंक मेडल (Max Planck Medal) - 1929
8. नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के सदस्य (Member of the National Academy of Sciences) - 1942
9. टाइम पर्सन ऑफ द सेंचुरी (Time Person of the Century) - 1999
अल्बर्ट आइंस्टीन के प्रेरणादायक और मन को लुभाने वाले विचार (Some inspiring and mind-blowing thoughts from Albert Einstein) Albert Einstein's biography in hindi
ज्ञान का एकमात्र स्रोत अनुभव है।
हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ हल नहीं कर सकते हैं जो हम उन्हें बनाने के लिए करते थे।
कल्पना ही सब कुछ है। यह जीवन के आने वाले आकर्षणों का पूर्वावलोकन है।
कल से सीखो, आज के लिए जियो, कल के लिए आशा करो। महत्वपूर्ण बात यह है कि पूछताछ करना बंद नहीं है।
नए प्रश्नों, नई संभावनाओं को बढ़ाने के लिए, एक नए कोण से पुरानी समस्याओं के संबंध में, रचनात्मक कल्पना की आवश्यकता होती है
जिसने कभी गलती नहीं की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।
जीने के दो तरीके हैं: आप ऐसे जी सकते हैं जैसे कि कुछ भी चमत्कार न हो; तुम ऐसे रह सकते हो जैसे कि सब कुछ एक चमत्कार है।
प्रतिभा और मूर्खता के बीच अंतर यह है कि प्रतिभा की अपनी सीमाएं हैं।
कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है। ज्ञान सीमित है, जबकि कल्पना पूरे विश्व को गले लगाती है, प्रगति को उत्तेजित करती है, विकास को जन्म देती है।
सफलता का आदमी बनने की कोशिश मत करो, बल्कि मूल्य का आदमी बनने की कोशिश करो।
प्रयोग की कोई भी राशि कभी भी मुझे सही साबित नहीं कर सकती है; एक भी प्रयोग मुझे गलत साबित कर सकता है।
मेरे पास कोई विशेष प्रतिभा नहीं है। मुझे केवल जुनून की हद तक उत्सुकता है।
पागलपन: बार-बार एक ही काम करना और विभिन्न परिणामों की अपेक्षा करना।
दो चीजें अनंत हैं: ब्रह्मांड और मानव मूर्खता; और मैं ब्रह्मांड के बारे में निश्चित नहीं हूं।
रचनात्मकता का रहस्य आपके स्रोतों को छिपाना जानता है।
मैं भविष्य के बारे में कभी नहीं सोचता। यह बहुत जल्द आता है।
अधिकांश शिक्षक उन प्रश्नों को पूछकर अपना समय बर्बाद करते हैं, जो कि एक शिष्य को पता नहीं होता है कि क्या पता चलता है, जबकि प्रश्न पूछने की सच्ची कला यह है कि शिष्य जो जानता है या जो जानने में सक्षम है उसे खोजता है।
जो कोई भी छोटे मामलों में सच्चाई के साथ लापरवाह है उससे महत्वपूर्ण मामलों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
ऐसा नहीं है कि मैं इतना स्मार्ट हूं, यह सिर्फ इतना है कि मैं समस्याओं के साथ लंबे समय तक रहता हूं।
शांत जीवन की एकरसता और एकांत रचनात्मक दिमाग को उत्तेजित करता है।
दुनिया के बारे में सबसे अचूक बात यह है कि यह समझ से बाहर है।
शिक्षा वह है जो एक के बाद एक स्कूल में सीखी गई चीजों को भूल गई है।
कोई भी आदमी जो बहुत अधिक पढ़ता है और अपने मस्तिष्क का बहुत कम उपयोग करता है, सोच की आलसी आदतों में गिर जाता है।
प्रकृति में गहरे देखो, और फिर तुम सब कुछ बेहतर समझोगे।
शांति को बल से नहीं रखा जा सकता है। यह केवल आपसी तालमेल के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
यदि आप इसे सरलता से नहीं समझा सकते हैं, तो आप इसे अच्छी तरह से समझ नहीं पाएंगे।
एक इंसान के रूप में, किसी को बस इतनी होशियारी के साथ संपन्न किया गया है कि वह स्पष्ट रूप से यह देख पाने में सक्षम है कि जो मौजूद है उसके साथ खुफिया जानकारी कितनी अपर्याप्त है।
अल्बर्ट आइंस्टीन के कुछ अनसुने रोचक तथ्य (Some unheard interesting facts about Albert Einstein) Albert Einstein ke rochak tathya
1. अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म हुआ तब इनका सर बहुत बड़ा था और इन्होंने 4 साल की उम्र तक बोलना भी शुरू नहीं किया था। मगर एक दिन जब 4 साल के आइंस्टीन अपने माता-पिता के साथ रात के खाने पर बैठे थे तो उन्होंने अचानक अपनी 4 साल की चुप्पी तोड़ते हुए कहा दूध बहुत गर्म है। अपने बेटे के इस तरह से 4 साल बाद एकदम बोलने से आइंस्टीन के माता-पिता बिल्कुल ही हैरान रह गए ।
2. क्या आप जानते हैं कि आइंस्टीन समुद्री यात्रा करते समय और वायलिन बजाते समय मोजे पहनना पसंद नहीं करते थे।
3. एक बार जब आइंस्टीन अपने यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे तब घर आते समय अपने घर का पता भूल गए थे। हालांकि ज्यादातर लोग आइंस्टीन को पहचानते थे किंतु जिस टैक्सी में वे बैठे थे उसका ड्राइवर उन्हें नहीं पहचानता था। आइंस्टीन ने ड्राइवर से कहा क्या तुम्हें आइंस्टीन का पता मालूम है। ड्राइवर ने जवाब दिया प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में कौन उनका पता नहीं जानेगा। यदि आप उनसे मिलना चाहते हैं तो मैं आपको उनके घर तक पहुंचा सकता हूं। तब आइंस्टीइन ने ड्राइवर को बताया कि वे खुद ही आइंस्टीन है और वह अपने घर का पता भूल गए हैं। यह जानकर ड्राइवर ने उन्हें उनके घर तक पहुंचाया और आइंस्टीन के बार-बार आग्रह के बावजूद भी टैक्सी का भाड़ा नहीं लिया।
4. एक बार गैल टेक ने अल्बर्ट आइंस्टीन को एक समारोह में आमंत्रित किया। आइंस्टीन अपनी पत्नी के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए। उन्होंने माउंटेन विल्सन पर स्थित अंतरिक्ष वेधशाला भी देखी। उस वेधशाला में उस समय तक बनी दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन स्थापित थी। इतनी बड़ी दूरबीन को देखने के बाद श्रीमती आइंस्टीन ने वेधशाला के प्रभारी से पूछा कि इतनी बड़ी दूरबीन से आप क्या देखते हो। प्रभारी को लगा कि श्रीमती आइंस्टीन का खगोल शास्त्री ज्ञान कुछ कम है। उसने बड़े रोब से उत्तर दिया इससे हम ब्रह्मांड के रहस्यों का पता लगाते हैं। आइंस्टीन के पत्नी ने बोली बड़ी अजीब बात है, मेरे पति तो यह सब एक चिट्ठी के लिफाफे के ऊपर ही लिखकर सब कुछ पता कर लेते हैं। जिसके लिए आपको इतनी बड़ी दूरबीन की जरूरत पड़ी है।
5. जब अल्बर्ट आइंस्टीन पहली बार प्रिंसटन पहुंचे तो वहां के प्रशासनिक अधिकारी ने कहा आप प्रयोग के लिए आवश्यक उपकरणों की सूची दे दे ताकि आपके कार्य के लिए उन्हें जल्दी ही उपलब्ध कराया जा सके! आइंस्टीन ने बड़े सहजता से कहा आप मुझे केवल एक ब्लैक बोर्ड , चौक, कागज और पेंसिल दे दीजिए। यह सुनकर अधिकारी हैरान हो गया इससे पहले कि वह कुछ और कहता, आइंस्टीन ने कहा और एक बड़ी टोकरी भी मंगा लीजिए। क्योंकि मैं अपना काम करते समय बहुत सारी गलतियां भी करता हूं, और छोटी टोकरी बहुत जल्दी रद्दी से भर जाती है।
6. जब लोग आइंस्टीन से उनकी प्रयोगशाला के बारे में पूछते थे तो वह केवल अपने सर की ओर इशारा करके मुस्कुरा देते थे। एक वैज्ञानिक ने उनसे एक सबसे प्रिय उपकरण के बारे में पूछा तो आइंस्टीन ने उसे अपना फाउंटेन पेन दिया। उनका दिमाग उनकी प्रयोगशाला थी और फाउंटेन पेन उनका उपकरण।
7. आइंस्टीन की याददाश्त कुछ ज्यादा अच्छी नहीं थी उन्हें डेट और फोन नंबर याद रखने में प्रॉब्लम होती थी। यहां तक कि उनको अपना खुद का नंबर याद नहीं था।
8. आइंस्टीन का जन्म दिन 14 मार्च को पूरी दुनिया में जीनियस डे के रूप में मनाया जाता है। आइंस्टीन बढ़िया काम करने के लिए रात को 10 घंटे तक सोते थे वह बहुत ही अयोग्य संगीतकार थे।चार्ली चैप्लिन की जीवनी में एक जगह आइंस्टीन के संगीत प्रेम का उल्लेख आता है वे अपनी किचन में जाकर वायलिन बजाते थे खाली समय में वह जाट का संगीत सुनते थे यानी संगीत से उन्हें लगाओ था और बचपन से बुढ़ापे तक एक वायलिन उनके पास हमेशा रहा लेकिन संगीत का ज्ञान इतना कम था कि कई बार धुरंधरों के बीच बैठकर बेसुरा संगीत आत्मविश्वास के साथ बजाते थे।और लोगों की दाज देने के लिए देखते थे बाकी लोग हंसते लेकिन उनकी पत्नी हमेशा उनकी हौसला अफजाई करती।
9. आइंस्टाइन के एक सहकर्मी ने उनसे उनका टेलीफोन नंबर पूछा आइंस्टीन पास रखें टेलीफोन डायरेक्टरी में अपना नंबर ढूंढने लगे सहकर्मी चकित होकर बोला आपको अपना खुद का टेलीफोन नंबर भी याद नहीं है। बोले नहीं, किसी ऐसी चीज को मैं भला मैं क्यों याद रखु जो मुझे किताब में ढूंढने से मिल जाती है।
10. अभी जो चित्र दिख रहा है यह तब लिया गया था जब 1941 में वे पार्टी पूरी करके आ रहे थे और तब उनसे एक फोटोग्राफर ने मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवाने का आग्रह किया। आइंस्टीन जो पहले ही थके हुए थे, वे अपनी जीभ बाहर निकाल कर अपना फोटो दिया। फोटोग्राफर ने भी इस यादगार लम्हे को कैद कर लिया।
Albert Einstein biography in hindi |
11. एक दिनअल्बर्ट आइंस्टीन भाषण देने जा रहे थे तो रास्ते में उनके ड्राइवर ने कहा कि आपका भाषण मैं इतनी बार सुन चुका हूं कि मैं ही लोगों के सामने आपका भाषण दे सकता हूं। आइंस्टीन यह सुनते ही बोले की आज तुम ही भाषण देना। आइंस्टीन ने ड्राइवर को पोशाक पहनकर उसका स्थान ले लिए और अपना स्थान ड्राइवर को दे दिए। भाषण हाॅल में ड्राइवर ने सचमुच आइंस्टीन के जैसे ही धुआंधार भाषण दि । भाषण देने के बाद जब लोगों ने प्रश्न पूछने शुरू किए तो ड्राइवर ने पूरे आत्मविश्वास के साथ सारे जवाब दिए। किंतु किसी एक ने ऐसा कठिन प्रश्न पूछ लिया कि ड्राइवर को उसका उत्तर नहीं पता था। इस पर ड्राइवर ने कहा अरे इस प्रश्न का जवाब तो इतना सरल है कि मेरा ड्राइवर बता देगा ऐसा कह कर उसने ड्राइवर वाली पोशाक पहने आइंस्टीन को जवाब देने के लिए खड़ा कर दिया। आखिर ड्राइवर भी इंटेलिजेंट क्यों ना हो, क्योंकि वह आइंस्टीन का ड्राइवर था।
12. एक बार आइंस्टीन प्रिंसटन से कहीं जाने के लिए ट्रेन से सफर कर रहे थे। जब टिकट चेकर उनके पास आया तो वे अपनी टिकट ढूंढने के लिए जेब टटोलने लगे। जेब में टिकट ना मिलने पर उन्होंने अपने सूटकेस मेश्रचेक किया। वहां भी टिकट को ना पाकर अपनी सीट के आसपास खोजने लगे। यह देखकर टिकट चेकर ने कहा कि यदि टिकट गुम हो गई है तो कोई बात नहीं वह उन्हें अच्छी प्रकार से पहचानता है और उसे विश्वास है कि आपने टिकट जरूर खरीदी होगी। टिकट चेक करने वाला जब सभी लोगों का टिकट चेक करके वापस जा रहा था तो उसने देखा कि आइंस्टीन अपनी सीट के नीचे टिकट ढूंढ रहे हैं तब चेकर उन्हें फिर से कहा वे टिकट के लिए परेशान ना हो उनसे टिकट नहीं मांगा जाएगा। टिकट चेकर की बातें सुनकर Einstein बोले, पर टिकट के बिना मुझे पता कैसे चलेगा कि मैं जा कहां रहा हूं? वाकई आइंस्टीन काफी ज्यादा भुलक्कड़ थे।
13. अल्बर्ट आइंस्टीन के प्रेम किस्सो की एक लंबी लिस्ट है। उनकी मृत्यु के 20 साल बाद उनकी सौतेली बेटी ने उनके 1500 पत्र प्रकाशित किए जिनमें उनके लगभग 6 प्रेम संबंधों का खुलासा हुआ। वे प्रेम संबंधों का ताजा हाल अपनी इस बेटी को चिट्ठियों में लिखा करते थे। हालांकि कई जानकारों का कहना है कि वे 20 से भी ज्यादा प्रेम संबंधों में रहे।
14. उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार की अनुमति के बिना उनका दिमाग निकाल लिया गया। यह अनैतिक कार्य डॉक्टर थॉमस हार्वे द्वारा उनके दिमाग पर रिसर्च करने के लिए किया गया। 1975 में उनके बेटे की आज्ञा से उनके दिमाग का 240 सैंपल कई वैज्ञानिकों के पास भेजा गया। इन्हें देखने के बाद उन्होंने पाया कि उनके दिमाग में आम इंसान से ज्यादा सेल्स की गिनती थी।
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु और उनका दिमाग (The death of the great scientist Albert Einstein and his brain in hindi)
महान वैज्ञानिक आइंस्टीन की मृत्यु अप्रैल 1955 में पेट की महाधमनी धमनीविस्फार (abdominal aortic aneurysm) से हुई। उन्होंने अनुरोध किया था कि उनके शरीर का अंतिम संस्कार किया जाए, लेकिन आइंस्टीन की मृत्यु के बाद डॉ. थॉमस स्टोल्ट्ज हार्वे नामक एक पैथोलॉजिस्ट ने शव के परीक्षण के दौरान उनके दिमाग को बड़ी आसानी से चुरा लिया था और किसी को भी इसके बारे में पता भी नहीं चला। दरअसल डॉ. थॉमस स्टोल्ट्ज हार्वे आइंस्टीन के दिमाग पर परीक्षण करना चाहता थे और इसी वजह से डॉक्टर ने शव से दिमाग चुरा लिया था । आपको बता दें कि इस दिमाग के बारे में 20 साल तक किसी को भी कुछ पता नहीं चला और उसके बाद आइंस्टीन के दिमाग पर अध्ययन शुरू किया गया। आइंस्टीन के दिमाग के 200 टुकड़े करके अलग-अलग विज्ञानियों को भेजे गए। आइंस्टीन के दिमाग को अध्ययन करने के बाद पता चला कि साधारण लोगों के दिमाग की तुलना में आइंस्टीन के दिमाग में एक असाधारण सेल संरचना मौजूद थी। इसी कारण महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग बहुत ही असाधारण सोचता था।
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आपने अपनी जानकारी को बहुत ही उम्दा तरीके से विस्तृत किया है, आपके द्वारा दी गयी जानकारी मुझे बहुत अच्छी तरह से समझ में आये इसके लिए आपका धन्यवाद
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Thanks. I am very happy to see you very happy.
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