Moral Stories in Hindi for class 3: Hello friends, how are you? Today I am sharing the top 10 moral stories in Hindi for class 3. These short moral stories in Hindi are very valuable for class 3 and give very good morals.
आज के इस आर्टिकल मे, मै आप के साथ top 10 short moral stories in hindi for class 3 with moral share कर रहा हूँ। ये हिंदी नैतिक कहानियाँ बच्चों के लिए बहुत ही उपयोगी होगी। ये सभी कहानियों के अंत मे नैतिक शिक्षा दी गयी हैं। जो बच्चों को लोगों और दुनिया को समझने मे बहुत मदद करेगी।
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आईये इन top 10 moral stories in Hindi for class 3 पढ़ते हैं।
Top 10 Moral Short Stories in Hindi for Class 3
1. वाणी का व्यवहार - Moral stories in Hindi for Class 3
एक राजा थे। बन-विहार को निकले। रास्ते में प्यास लगी। नजर दौड़ाई एक अन्धे की झोपड़ी दिखी। उसमें जल भरा घड़ा दूर से ही दीख रहा था। राजा ने सिपाही को भेजा और एक लोटा जल माँग लाने के लिए कहा।
सिपाही वहाँ पहुँचा और बोला- ऐ अन्धे एक लोटा पानी दे दे।
अन्धा अकड़ू था। उसने तुरन्त कहा- चल-चल तेरे जैसे सिपाहियों से मैं नहीं डरता। पानी तुझे नहीं दूँगा। सिपाही निराश लौट पड़ा।
इसके बाद सेनापति को पानी लाने के लिए भेजा गया। सेनापति ने समीप जाकर कहा - अरे वो अन्धे, पैसा मिलेगा - पानी दे।
अन्धा फिर अकड़ पड़ा। उसने कहा, पहले वाले का यह सरदार मालूम पड़ता है। फिर भी चुपड़ी बातें बना कर दबाव डालता है। जा यहाँ से, पानी नहीं मिलेगा।
सेनापति को भी खाली हाथ लौटता देखकर राजा स्वयं चल पड़े।
समीप पहुँचकर वृद्ध जन को सर्वप्रथम नमस्कार किया और कहा- ‘प्यास से गला सूख रहा है। एक लोटा जल दे सकें तो बड़ी कृपा होगी।’
अंधे ने सत्कारपूर्वक उन्हें पास बिठाया और कहा- ‘आप जैसे श्रेष्ठ जनों का राजा जैसा आदर है। जल तो क्या मेरा शरीर भी स्वागत में हाजिर है। कोई और भी सेवा हो तो बतायें।'
राजा ने शीतल जल से अपनी प्यास बुझाई फिर नम्र वाणी में पूछा- ‘आपको तो दिखाई पड़ नहीं रहा है, फिर जल माँगने वालों को सिपाही, सरदार और राजा के रूप में कैसे पहचान पाये?’
अन्धे ने कहा- “वाणी के व्यवहार से हर व्यक्ति के वास्तविक स्तर का पता चल जाता है।”
Moral of this Hindi Short Story:
दोस्तो वाणी उस तीर की तरह हाेती हैं, जाे एक बार कमान(धनुष) से निकलने के बाद वापस नहीं आती। इस लिए जब भी कुछ बाेलाे बहुँत सोच-समझ कर बाेलाे, आपकी वाणी में ऐसा मिठास हाें की सुनने वाला गदगद़(खुश) हाे जायें। ऐसी वाणी कभी ना बाेलाे, जिससे किसी काे दुःख पहुँचे।
2. सही अवसर(समय) काे पहचाने - Moral Story in Hindi for Class 3
एक नौजवान आदमी, एक किसान की बेटी से शादी की इच्छा लेकर किसान के पास गया।
किसान ने उसकी ओर देखा और कहा, “युवक” खेत में जाओ, मैं एक-एक करके तीन बैल छोड़ने वाला हूँ। अगर तुम तीनों बैलों में से किसी भी एक की पूँछ पकड़ लो तो मैं अपनी बेटी की शादी तुमसे कर दूंगा।
नौजवान खेत में बैल की पूँछ पकड़ने की मुद्रा लेकर खड़ा हो गया।
किसान ने खेत में स्थित घर का दरवाजा खोला और एक बहुत ही बड़ा और खतरनाक बैल उसमे से निकला। नौजवान ने ऐसा बैल पहले कभी नहीं देखा था।
उस खतरनाक बैल से डर कर नौजवान ने निर्णय लिया कि वह अगले बैल का इंतज़ार करेगा और वह एक तरफ हो गया जिससे बैल उसके पास से होकर निकल गया।
दरवाजा फिर खुला। आश्चर्यजनक रूप से इस बार पहले से भी बड़ा और भयंकर बैल निकला।
नौजवान ने सोचा कि इससे तो पहला वाला बैल ठीक था। फिर उसने एक तरफ होकर बैल को निकल जाने दिया।
दरवाजा तीसरी बार खुला। नौजवान के चहरे पर मुस्कान आ गई।
इस बार एक छोटा और मरियल बैल निकला। जैसे ही बैल नौजवान के पास आने लगा, नौजवान ने उसकी पूँछ पकड़ने के स्थिति मे खड़ा हो गया ताकि उसकी पूँछ सही समय पर पकड़ ले। पर जब बैल नजदीक पहुँचा तो पता चला की उस बैल की पूँछ थी ही नहीं।
Moral:
हर एक इंसान कि जिन्दगी अवसरों से भरी हुई है। कुछ सरल हैं और कुछ कठिन। पर अगर एक बार अवसर गवां दिया तो फिर वह अवसर दुबारा नहीं मिलेगा। अतः हमेशा प्रथम अवसर को हासिल करने का प्रयास करना चाहिए।
दोस्तों अभी तक आप Top 10 Hindi Moral Stories for class 3 की 2 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 3rd Moral Stories in Hindi for class 3.
3. लालची चिड़िया - Moral Stories in Hindi for Class 3
एक जंगल में पक्षियों का एक बड़ा सा दल रहता था। रोज सुबह सभी पक्षी भोजन की तलाश में निकलते थे। पक्षियों के राजा ने अपने पक्षियों को कह रखा था कि जिसे भी भोजन दिखाई देगा वह आकर अपने बाकी साथियों को आकर बता देगा और फिर सभी पक्षी एक साथ मिलकर दाना खाएंगे। इस तरह उस दल के सभी पक्षियों को भरपूर खाना मिल जाता था।
एक दिन भोजन की तालश में एक चिड़िया उड़ते-उड़ते काफी दूर निकल गयी। जंगल के बाहर रास्ते तक आ गई। इस रास्ते से गाड़ियों में अनाज के बोरे मण्डी जाया करते थे।
रास्ते में काफी सारा अनाज गाड़ियों से नीचे गिरकर सड़क पर बिखर जाता था। चिड़िया गाड़ियों में अनाज के भरे बोरे देखकर बहुत खुश हुई, क्योंकि अब उसे और कोई जगह तलाश करने की जरूरत ही नहीं थी।
अनाज से भरी गाड़ियाँ वहां से रोज गुजरती थीं और अनाज के दाने सड़क पर बिखरते भी रोज थे। चिड़िया के मन में लालच आ गया। उसने सोचा कि उस जगह के बारे में वह किसी को नहीं बतायेगी और रोज इसी जगह आकर पेट भर खाना खाया करेगी।
उस शाम को जब चिड़िया अपने दल में वापस पहुँची, तब उसके बाकी साथियों ने देरी से आने का कारण पूछा।
चिड़िया ने भी एक अनूठी झूठी कहानी सुना दी कि वह किसी तरह जान बचाकर आयी है। उस रास्ते से तो इतनी गाड़ियाँ गुजरती हैं रास्ता पार करना मुश्किल है। दल की बाकी चिड़िया यह सुनकर डर गयीं और सभी ने निश्चय कर लिया कि वह रास्ते के पास नहीं जाएंगी।
इस तरह वह चिड़िया रोज उसी रास्ते पर जाकर पेट भर दाना खाती रही। एक दिन चिड़िया रोज की तरह रास्ते पर बैठकर खाना खा रही थी। खाना खाने में वह इतनी मग्न थी कि उसे उसकी तरफ आती हुई गाड़ी की आहट सुनाई ही नहीं दी।
गाड़ी भी तेजी से आगे बढ़ रही थी। चिड़िया दाना चुगने में मग्न थी, गाड़ी पास आ गयी और गाड़ी का पहिया चिड़िया को कुचलता हुआ आगे निकल गया। इस तरह लालची चिड़िया अपने ही जाल में फँस गयी।
Moral of this Hindi Story:
लालच बुरी बला है-कभी लालची मत बनो !
4. सुनहरा पक्षी - Moral Stories for Class 3 in Hindi
सुन्दरलाल एक धनी व्यापारी था। उसमें बस एक कमी थी—वह बहुत कामचोर और आलसी था सुबह देर तक सोना उसे बहुत पसंद था।
अपने आलसी स्वभाव के कारण धीरे-धीरे सुन्दर लाल की सेहत बिगड़ने लगी। वह पलंग पर पड़ा-पड़ा मोटा हो गया। उससे अब ज्यादा चला-फिरा नहीं जाता था। उसने अब अपने सारे काम नौकरों पर छोड़ रखे थे।
नौकर अपने मालिक के आलसी स्वभाव से परिचित थे। उन्होंने भी धीरे-धीरे बेईमानी करना शुरू कर दी और उससे सुन्दरलाल को व्यापार में नुकसान होने लगा।
एक दिन सुन्दरलाल का मित्र उससे मिलने आया। सुन्दरलाल ने अपने मित्र से अपनी बीमारी के बारे में बताया। मित्र होशियार था, वह तुरन्त समझ गया कि सुन्दरलाल का आलसीपन ही सारी बीमारी की जड़ है। उसने सुन्दरलाल से कहा—‘‘तुम्हारी बीमारी को दूर करने का उपाय में जानता हूँ, पर तुम वह कर नहीं सकते, क्योंकि इसके लिए तुम्हें जल्दी उठना पड़ेगा।’’
सुन्दरलाल ने कहा कि बीमारी ठीक होने के लिए सब कुछ करने को तैयार है।
मित्र ने कहा, ‘‘सुबह-सुबह अक्सर एक सुनहरा पक्षी आता है। तुम अगर उसे देख लो तो तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जायेंगे।’’
सुन्दरलाल अगले दिन सुबह-सुबह उठकर सुनहरे पक्षी को खोजने चल पड़ा।
रास्ते में उसने देखा कि नौकर उसी के भण्डार से अनाज चोरी कर रहे हैं। ग्वाला दूध में पानी मिला रहा है। सुन्दरलाल ने अपनी सभी नौकरों को डांटा।
अगले दिन फिर सुन्दरलाल सुनहरे पक्षी की खोज में निकला। सुनहरे पक्षी तो मिलना नहीं था, पर अपने मालिक को रोज आते देख भण्डार से चोरी होनी बन्द हो गयी। सभी नौकर अपना काम ठीक से करने लगे। चलने-फिरने से सुन्दरलाल का स्वास्थ्य भी ठीक रहने लगा।
कुछ समय बाद सुन्दरलाल का मित्र वापस सुन्दरलाल के पास आया।
सुन्दरलाल ने मित्र से कहा—‘‘मैं इतने दिनों से सुनहरे पक्षी को खोज रहा हूँ, पर वह मुझे दिखाई नहीं दिया।’’
मित्र ने कहा—‘‘तुम्हारा परिश्रम ही वह सुनहरा पक्षी है। तुमने जब से खेतों में जाना शुरू किया है, तुम्हारे यहाँ चोरी बन्द हो गयी और तुम्हारा स्वास्थ्य भी ठीक हो गया।
मित्र की बात अब सुन्दरलाल की समझ में आ गयी। उसने उसी दिन के बाद से आलस करना छोड़ दिया।
Moral:
दोस्तों आलस बहुत बड़ी बीमारी है। हमे कभी भी आलस नही करना चाहिए और अपने काम को समय पर पुरा करना चाहिए।
दोस्तों अभी तक आप Best Hindi Moral Stories for class 3 की 4 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 5th Moral Stories in Hindi for class 3.
5. हाथी और छह अंधे व्यक्ति - Moral Hindi Stories for Class 3
बहुत समय पहले की बात है , किसी गावं में 6 अंधे आदमी रहते थे।
एक दिन गाँव वालों ने उन्हें बताया, "अरे , आज गावँ में हाथी आया है.” उन्होंने आज तक बस हाथियों के बारे में सुना था पर कभी छू कर महसूस नहीं किया था।
उन्होंने ने निश्चय किया, "भले ही हम हाथी को देख नहीं सकते , पर आज हम सब चल कर उसे महसूस तो कर सकते हैं ना?” और फिर वो सब उस जगह की तरफ बढ़ चले जहाँ हाथी आया हुआ था।
सभी ने हाथी को छूना शुरू किया।
"मैं समझ गया, हाथी एक खम्भे की तरह होता है” - पहले व्यक्ति ने हाथी का पैर छूते हुए कहा।
“अरे नहीं, हाथी तो रस्सी की तरह होता है.” - दूसरे व्यक्ति ने पूँछ पकड़ते हुए कहा।
“मैं बताता हूँ, ये तो पेड़ के तने की तरह है.” - तीसरे व्यक्ति ने सूंढ़ पकड़ते हुए कहा।
” तुम लोग क्या बात कर रहे हो, हाथी एक बड़े हाथ के पंखे की तरह होता है.” - चौथे व्यक्ति ने कान छूते हुए सभी को समझाया।
“नहीं-नहीं , ये तो एक दीवार की तरह है.” - पांचवे व्यक्ति ने पेट पर हाथ रखते हुए कहा।
” ऐसा नहीं है , हाथी तो एक कठोर नली की तरह होता है.” - छठे व्यक्ति ने अपनी बात रखी।
और फिर सभी आपस में बहस करने लगे और खुद को सही साबित करने में लग गए। उनकी बहस तेज होती गयी और ऐसा लगने लगा मानो वो आपस में लड़ ही पड़ेंगे।
तभी वहां से एक बुद्धिमान व्यक्ति गुजर रहा था। वह रुका और उनसे पूछा, "क्या बात है तुम सब आपस में झगड़ क्यों रहे हो?"
"हम यह नहीं तय कर पा रहे हैं कि आखिर हाथी दीखता कैसा है.” , उन मे से एक ने उत्तर दिया। और फिर बारी बारी से उन्होंने अपनी बात उस व्यक्ति को समझाई।
बुद्धिमान व्यक्ति ने सभी की बात शांति से सुनी और बोला , "तुम सब अपनी-अपनी जगह सही हो। तुम्हारे वर्णन में अंतर इसलिए है क्योंकि तुम सबने हाथी के अलग-अलग भाग छुए हैं। लेकिन देखा जाए तो तुम लोगो ने जो कुछ भी बताया वो सभी बाते हाथी के वर्णन के लिए सही बैठती हैं।”
"अच्छा !! ऐसा है.” सभी ने एक साथ उत्तर दिया। उसके बाद कोई विवाद नहीं हुआ, और सभी खुश हो गए कि वो सभी सच कह रहे थे।
Moral of this Short Story:
दोस्तों, कई बार ऐसा होता है कि हम अपनी बात को लेकर अड़ जाते हैं कि हम ही सही हैं और बाकी सब गलत है। लेकिन यह संभव है कि हमें सिक्के का एक ही पहलु दिख रहा हो और उसके आलावा भी कुछ ऐसे तथ्य हों जो सही हों। इसलिए हमें अपनी बात तो रखनी चाहिए पर दूसरों की बात भी सब्र से सुननी चाहिए, और कभी भी बेकार की बहस में नहीं पड़ना चाहिए।
दोस्तों अभी तक आप Moral stories in Hindi for class 3 की 5 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 7th Moral Stories in Hindi for class 3.
6. कैसे आया जूता - Short Hindi Stories with Moral for Class 3
एक बार की बात है एक राजा था। उसका एक बड़ा-सा राज्य था। एक दिन उसे देश घूमने का विचार आया और उसने देश भ्रमण की योजना बनाई और घूमने निकल पड़ा।
जब वह यात्रा से लौट कर अपने महल आया। उसने अपने मंत्रियों से पैरों में दर्द होने की शिकायत की। राजा का कहना था कि मार्ग में जो कंकड़ पत्थर थे वे मेरे पैरों में चुभ गए और इसके लिए कुछ इंतजाम करना चाहिए।
कुछ देर विचार करने के बाद उसने अपने सैनिकों व मंत्रियों को आदेश दिया कि देश की संपूर्ण सड़कें चमड़े से ढंक दी जाएं। राजा का ऐसा आदेश सुनकर सब सकते में आ गए। लेकिन किसी ने भी मना करने की हिम्मत नहीं दिखाई।
यह तो निश्चित ही था कि इस काम के लिए बहुत सारे रुपए की जरूरत थी। लेकिन फिर भी किसी ने कुछ नहीं कहा। कुछ देर बाद राजा के एक बुद्घिमान मंत्री ने एक युक्ति निकाली। उसने राजा के पास जाकर डरते हुए कहा कि मैं आपको एक सुझाव देना चाहता हूँ।
अगर आप इतने रुपयों को अनावश्यक रूप से बर्बाद न करना चाहें तो एक अच्छी तरकीब मेरे पास है। जिससे आपका काम भी हो जाएगा और अनावश्यक रुपयों की बर्बादी भी बच जाएगी।
राजा आश्चर्यचकित था। क्योंकि पहली बार किसी ने उसकी आज्ञा न मानने की बात कही थी। उसने कहा - "बताओ क्या सुझाव है"?
मंत्री ने कहा कि पूरे देश की सड़कों को चमड़े से ढंकने के बजाय आप चमड़े के एक टुकड़े का उपयोग कर अपने पैरों को ही क्यों नहीं ढंक लेते?
राजा ने अचरज की दृष्टि से मंत्री को देखा और उसके सुझाव को मानते हुए अपने लिए जूता बनवाने का आदेश दे दिया।
Moral:
यह कहानी हमें एक महत्वपूर्ण पाठ सिखाती है कि हमेशा ऐसे हल के बारे में सोचना चाहिए जो ज्यादा उपयोगी हो। जल्दबाजी में अप्रायोगिक हल सोचना बुद्धिमानी नहीं है। दूसरों के साथ बातचीत से भी अच्छे हल निकाले जा सकते हैं।
दोस्तों अभी तक आप Moral short stories in Hindi for Class 3 की 6 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 7th Short Moral Stories in Hindi for class 3.
7. फूटा घड़ा - Best Moral Stories in Hindi for Class 3
बहुत समय पहले की बात है, किसी गाँव में एक किसान रहता था। वह रोज़ सुबह सवेरे उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था।
इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था, जिन्हें वो डंडे में बाँध कर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था।
उनमे से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था, और दूसरा एक दम सही था। इस वजह से रोज़ घर पहुँचते-पहुँचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था। ऐसा दो सालों से चल रहा था।
सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वो पूरा का पूरा पानी घर पहुंचता है और उसके अन्दर कोई कमी नहीं है।
वहीँ दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वो आधा पानी ही घर तक पंहुचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है।
फूटा घड़ा ये सब सोच कर बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन उससे रहा नहीं गया, उसने किसान से कहा, “मैं खुद पर शर्मिंदा हूँ और आपसे क्षमा मांगना चाहता हूँ ?”
“क्यों?", किसान ने पूछा, “तुम किस बात से शर्मिंदा हो ?”
“शायद आप नहीं जानते पर मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ, और पिछले दो सालों से मुझे जितना पानी घर पहुँचाना चाहिए था बस उसका आधा ही पहुंचा पाया हूँ। मेरे अन्दर ये बहुत बड़ी कमी है, और इस वजह से आपकी मेहनत बर्वाद होती रही है।” - फूटे घड़े ने दुखी होते हुए कहा।
किसान को घड़े की बात सुनकर थोडा दुःख हुआ और वह बोला, “कोई बात नहीं, मैं चाहता हूँ कि आज लौटते वक़्त तुम रास्ते में पड़ने वाले सुन्दर फूलों को देखो।”
घड़े ने वैसा ही किया, वह रास्ते भर सुन्दर फूलों को देखता आया, ऐसा करने से उसकी उदासी कुछ दूर हुई पर घर पहुँचते–पहुँचते फिर उसके अन्दर से आधा पानी गिर चुका था, वो मायूस हो गया और किसान से क्षमा मांगने लगा।
किसान बोला, "शायद तुमने ध्यान नहीं दिया पूरे रास्ते में जितने भी फूल थे वो बस तुम्हारी तरफ ही थे, सही घड़े की तरफ एक भी फूल नहीं था।
ऐसा इसलिए क्योंकि मैं हमेशा से तुम्हारे अन्दर की कमी को जानता था और मैंने उसका लाभ उठाया। मैंने तुम्हारे तरफ वाले रास्ते पर रंग -बिरंगे फूलों के बीज बो दिए थे। तुम रोज़ थोडा-थोडा कर के उन्हें सींचते रहे और पूरे रास्ते को इतना खूबसूरत बना दिया।
आज तुम्हारी वजह से ही मैं इन फूलों को भगवान को अर्पित कर पाता हूँ और अपना घर सुन्दर बना पाता हूँ। तुम्ही सोचो अगर तुम जैसे हो वैसे नहीं होते तो भला क्या मैं ये सब कुछ कर पाता ?”
Class 3 Stories Moral:
दोस्तों हम सभी के अन्दर कोई ना कोई कमी होती है, पर यही कमियां हमें अनोखा बनाती हैं। उस किसान की तरह हमें भी हर किसी को वो जैसा है वैसे ही स्वीकारना चाहिए और उसकी अच्छाई की तरफ ध्यान देना चाहिए, और जब हम ऐसा करेंगे तब “फूटा घड़ा” भी “अच्छे घड़े” से मूल्यवान हो जायेगा।
8. चतुर बिल्ली - Short Moral Stories in Hindi for Class 3
एक चिड़ा पेड़ पर घोंसला बनाकर मजे से रहता था। एक दिन वह दाना पानी के चक्कर में अच्छी फसल वाले खेत में पहुँच गया। वहाँ खाने पीने की मौज से बड़ा ही खुश हुआ। उस खुशी में रात को वह घर आना भी भूल गया और उसके दिन मजे में वही बीतने लगे।
इधर शाम को एक खरगोश उस पेड़ के पास आया जहाँ चिड़े का घोंसला था। पेड़ जरा भी ऊँचा नहीं था। इसलिए खरगोश ने उस घोंसलें में झाँक कर देखा तो पता चला कि यह घोंसला खाली पड़ा है।
घोंसला अच्छा खासा बड़ा था। इतना कि उसमें वह खरगोश आराम से रह सकता था। उसे यह बना बनाया घोंसला पसन्द आ गया और उसने यहीं रहने का फैसला कर लिया।
कुछ दिनों बाद चिड़ा खा-पीकर कर, मोटा-ताजा बन कर अपने घोंसलें की याद आने पर वापस लौटा। उसने देखा कि घोंसलें में खरगोश आराम से बैठा हुआ है। उसे बड़ा गुस्सा आया, उसने खरगोश से कहा, "चोर कहीं का, मैं नहीं था तो तुम मेरे घर में घुस गये हो? चलो निकलो मेरे घर से, जरा भी शरम नहीं आयी मेरे घर में रहते हुए?"
खरगोश शान्ति से जवाब देने लगा, "कहाँ का तुम्हारा घर? कौन सा तुम्हारा घर? यह तो मेरा घर है। पागल हो गये हो तुम। अरे! कुआँ, तालाब या पेड़ एक बार छोड़कर कोई जाता हैं तो अपना हक भी गवाँ देता हैं। यहाँ तो जब तक हम हैं, अपना घर है। बाद में तो उसमें कोई भी रह सकता है। अब यह घर मेरा है। बेकार में मुझे तंग मत करो।"
यह बात सुनकर चिड़ा कहने लगा, "ऐसे बहस करने से कुछ हासिल नहीं होनेवाला। किसी धर्मपण्डित के पास चलते हैं। वह जिसके हक में फैसला सुनायेगा उसे घर मिल जायेगा।
उस पेड़ के पास से एक नदी बहती थी। वहाँ पर एक बड़ी सी बिल्ली बैठी थी। वह कुछ धर्मपाठ करती नज़र आ रही थी। वैसे तो यह बिल्ली इन दोनों की जन्मजात शत्रु है लेकिन वहाँ और कोई भी नहीं था इसलिए उन दोनों ने उसके पास जाना और उससे न्याय लेना ही उचित समझा। सावधानी बरतते हुए बिल्ली के पास जा कर उन्होंने अपनी समस्या बतायी।
उन्होंने कहा, "हमने अपनी उलझन तो बता दी, अब इसका हल क्या है? इसका जबाब आपसे सुनना चाहते हैं। जो भी सही होगा उसे वह घोंसला मिल जायेगा और जो झूठा होगा उसे आप खा लें।"
"अरे रे !! यह तुम कैसी बातें कर रहे हो, हिंसा जैसा पाप नहीं इस दुनिया में। दूसरों को मारने वाला खुद नरक में जाता है। मैं तुम्हें न्याय देने में तो मदद करूँगी लेकिन झूठे को खाने की बात है तो वह मुझसे नहीं हो पायेगा। मैं एक बात तुम लोगों को कानों में कहना चाहती हूँ, जरा मेरे करीब आओ तो!!"
खरगोश और चिड़ा खुश हो गये कि अब फैसला हो कर रहेगा। और उसके बिलकुल करीब गये। फिर क्या? करीब आये खरगोश को बिल्ली ने पंजे में पकड़ा और मुँह से चिड़े को दबोच कर दोनों का काम तमाम कर दिया। अपने शत्रु को पहचानते हुए भी उस पर विश्वास करने से खरगोश और चिड़े को अपनी जानें गवाँनीं पड़ीं।
Moral:
किसी ने सच ही कहा है, शत्रु से संभलकर और हो सके तो चार हाथ दूर ही रहने में भलाई है।
दोस्तों अभी तक आप Short Stories in Hindi for Classs 3 की 8 कहानियाँ पढ़ चुके हैं। और उम्मीद करते हैं की आगे की नैतिक कहानियाँ भी जरूर पढ़ेंगे। आईये पढ़ते हैं 9th Moral Stories in Hindi for class 3.
9. दोस्ती की आग - Hindi Short Moral Stories for Class 3
अली नाम के एक लड़के को पैसों की सख्त ज़रुरत थी। उसने अपने मालिक से मदद मांगी। मालिक पैसे देने को तैयार हो गया पर उसने एक शर्त रखी। शर्त ये थी कि अली को बिना आग जलाये कल की रात पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी पर बितानी थी।
अगर वो ऐसा कर लेता तो उसे एक बड़ा इनाम मिलता और अगर नहीं कर पाता तो उसे मुफ्त में काम करना होता।
अली जब दुकान से निकला तो उसे एहसास हुआ कि वाकई कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है और बर्फीली हवाएं इसे और भी मुश्किल बना रही हैं। उसे मन ही मन लगा कि शायद उसने ये शर्त कबूल कर बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी है। घबराहट में वह तुरंत अपने दोस्त आदिल के पास पहुंचा और सारी बात बता दी।
आदिल ने कुछ देर सोचा और बोला, “चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूँगा। कल रात, जब तुम पहाड़ी पर होगे तो ठीक सामने देखना मैं तुम्हारे लिए सामने वाली पहाड़ी पर सारी रात आग जल कर बैठूंगा।
तुम आग की तरफ देखना और हमारी दोस्ती के बारे में सोचना; वो तुम्हे गर्म रखेगी।
और जब तुम रात बिता लोगे तो बाद में मेरे पास आना, मैं बदले में तुमसे कुछ लूंगा।”
अली अगली रात पहाड़ी पर जा पहुंचा, सामने वाली पहाड़ी पर आदिल भी आग जल कर बैठा था।
अपने दोस्त की दी हुई हिम्मत से अली ने वो बर्फीली रात किसी तरह से काट ली। मालिक ने शर्त के मुताबिक उसे ढेर सारे पैसे इनाम में दिए।
इनाम मिलते ही वो आदिल के पास पहुंचा, और बोला, “तुमने कहा था कि मेरी मदद के बदले में तुम कुछ लोगे … कितने पैसे चाहिएं तुम्हे।.”
आदिल बोला, “हाँ मैंने कुछ लेने को कहा था, पर वो पैसे नहीं हैं। मैं तो तुमसे एक वादा लेना चाहता हूँ … वादा करो कि अगर कभी मेरी ज़िन्दगी में भी बर्फीली हवाएं चलें तो तुम मेरे लिए दोस्ती की आग जलाओगे।”
अली ने फ़ौरन उसे गले लगा लिया और हमेशा दोस्ती निभाने का वादा किया।
Moral:
Friends, कहते हैं दोस्ती ही वो पहला रिश्ता होता है जो हम खुद बनाते हैं, बाकी रिश्तों के साथ तो हम पैदा होते हैं। सचमुच अगर हम अपनी life से “दोस्तों” को minus कर दें तो ज़िन्दगी कितनी खाली लगे। दोस्त होने का मतलब सिर्फ खुशियां बांटना नहीं होता। दोस्ती का असली मतलब अपने दोस्त का उस समय साथ देना होता है जब वो मुसीबत में हो, जब उसे हमारी सबसे ज्यादा ज़रुरत हो।
10. दोस्ती - Moral Stories for Class 3 in Hindi
शहर से दूर जंगल में एक पेड़ पर गोरैया का जोड़ा रहता था। उनके नाम थे, चीकू और चिनमिन। दोनो बहुत खुश रहते थे। सुबह सवेरे दोनो दाना चुगने के लिये निकल जाते। शाम होने पर अपने घोंसले मे लौट जाते। कुछ समय बाद चिनमिन ने अंडे दिये।
चीकू और चिनमिन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दानों ही बड़ी बेसब्री से अपने बच्चों के अंडों से बाहर निकलने का इंतजार करने लगे। अब चिनमिन अंडों को सेती थी और चीकू अकेला ही दाना चुनने के लिये जाता था।
एक दिन एक हाथी धूप से बचने के लिये पेड़ के नीचे आ बैठा। मदमस्त हो कर वह अपनी सूँड़ से उस पेड़ को हिलाने लगा। हिलाने से पेड़ की वह डाली टूट गयी, जिस पर चीकू और चिनमिन का घोंसला था। इस तरह घोंसले में रखे अंडे टूट गये।
अपने टूटे अंडों को देख कर चिनमिन जोरों से रोने लगी। उसके रोने की आवाज सुन कर, चीकू और चिनमिन का दोस्त भोलू -- उसके पास आये और रोने का कारण पूछने लगे।
चिनमिन से सारी बात सुनकर उन्हें बहुत दुख हुआ। फिर दोनो को धीरज बँधाते हुए भोलू -- बोला, "अब रोने से क्या फायदा, जो होना था सो हो चुका।"
चीकू बोला, "भोलू भाई, बात तो तुम ठीक कर रहे हो, परंतु इस दुष्ट हाथी ने घमंड में आ कर हमारे बच्चों की जान ले ली है। इसको तो इसका दंड मिलना ही चाहिये। यदि तुम हमारे सच्चे दोस्त हो तो उसको मारने में हमारी मदद करो।"
यह सुनकर थोड़ी देर के लिये तो भोलू दुविधा में पड़ गया कि कहाँ हम छोटे-छोटे पक्षी और कहाँ वह विशालकाय जानवर। परंतु फिर बोला, "चीकू दोस्त, तुम सच कह रहे हो। इस हाथी को सबक सिखाना ही होगा। अब तुम मेरी अक्ल का कमाल देखो। मैं अपनी दोस्त वीना मक्खी को बुला कर लाता हूँ। इस काम में वह हमारी मदद करेगी।" और इतना कह कर वह चला गया।
भोलू ने अपनी दोस्त वीना के पास पहुँच कर उसे सारी बात बता दी। फिर उसने उससे हाथी को मारने का उपाय पूछा। वीना बोली, "इससे पहले की हम कोई फैसला करे, अपने मित्र मेघनाद मेंढ़क की भी सलाह ले लूँ तो अच्छा रहेगा। वह बहुत अक्लमंद है। हाथी को मारने के लिये जरूर कोई आसान तरीका बता देगा।
चीकू, भोलू और वीना, तीनों मेघनाद मेंढ़क के पास गये। सारी बात सुन कर मेघनाद बोला, "मेरे दिमाग में उसे मारने की एक बहुत ही आसान तरकीब आयी है।
वीना बहन सबसे पहले दोपहर के समय तुम हाथी के पास जा कर मधूर स्वर में एक कान में गुंजन करना। उसे सुन कर वह आनंद से अपनी आँखे बंद कर लेगा। उसी समय भोलू अपनी तीखी चोंच से उसकी दोनो आँखें फोड़ देगा। इस प्रकार अंधा हो कर वह इधर-उधर भटकेगा।
थोड़ी देर बाद उसको प्यास लगेगी तब मैं खाई के पास जा कर अपने परिवार सहित जोर-जोर से टर्-टर् की आवाज करने लगूँगा। हाथी समझेगा की यह आवाज तालाब से आ रही है। वह आवाज की तरफ बढ़ते बढ़ते खाई के पास आयेगा और उसमें जा गिरेगा और खाई में पड़ा पड़ा ही मर जाएगा।
सबको मेघनाद की सलाह बहुत पसंद आयी। जैसा उसने कहा था, वीना और भोलू ने वैसा ही किया। इस तरह छोटे छोटे जीवों ने मिल कर अपनी अक्ल से हाथी जैसे बड़े जीव को मार गिराया और फिर से प्यार से रहने लगे।
दोस्तों यह थी top 10 Moral Stories in Hindi for class 3. ये सभी कहानियाँ नैतिक है। और इन कहानियों से बच्चों को बहुत मदद मिलेगी।
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